डेयरी फार्मिंग (Dairy farming): बिज़नस आईडिया कम लागत ज्यादा मुनाफा

नमस्कार मित्रों! जैसा की आप सभी जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है और आज भी देश की लगभग 50 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी सिर्फ कृषि पर निर्भर करती है. यदि आंकड़ो की माने तो गत वर्ष जब कोरोना वायरस तथा लॉकडाउन के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी तब कृषि एक मात्र ऐसा सेक्टर था जिसने जीडीपी में 5 प्रतिशत धनात्मक योगदान दिया था.

अब चूँकि देश की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर कर रही है तथा यह सेक्टर कठिन से कठिन समय में भी फायदे प्रदान कर रहा है इसलिए कृषि से जुड़े तमाम बिज़नेस भी आपके लिए फ़ायदे का सौदा होने वाले है.

हमारे आज के ब्लॉग में हम कृषि से ही जुड़े एक बेहतरीन बिज़नेस आईडिया (Top Business Idea) को लेकर आए है. यह व्यापार सदियों से चलता चला आ रहा है तथा इसकी मांग देश के हर कोने हर घर में है. जी हाँ हमारा आज का टॉपिक है डेयरी फार्मिंग (Dairy farming). तो आइये जानते है आखिर क्या होता है डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) और आप कैसे इस बिज़नेस की मदद से घर बैठे लांखो कमा सकते है.

Table of Contents

क्या होता है डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) या दुग्ध व्यापार

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) का सीधा सम्बन्ध दुग्ध व्यापार से है जो कि भारत में स्वेत क्रांति का पर्याय माना जाता है. साधारण शब्दों में कहे तो दुग्ध तथा दुग्ध सम्बंधित सभी प्रोडक्ट्स जैसे की खोया, पनीर, घी आदि सभी डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के अंतर्गत आते है.

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) अथवा दुग्ध व्यापार के अंतर्गत दुधारू पशुओ का पालन पोषण कर उनसे दूध प्राप्त किआ जाता है. तथा बाद में इसी दूध को सीधा बड़ी बड़ी डेरियो तथा कम्पनियो जैसे की नमस्ते इंडिया आदि में बेच दिया जाता है. इसके अलावा इस व्यापार में आप अलग अलग प्रकार के दुग्ध उत्पाद जैसे की पनीर, घी तथा खोया आदि भी बनाकर बेच सकते है.

आज के समय में दुग्ध व्यापार कई मायनों में बेहतरीन बिज़नेस आईडिया (Top Business Idea) माना जाता है क्योंकि इसमे आय के एक नहीं बल्कि 3 सोर्स होते है. आइये जानते है डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के प्रमुख फायदों के बारे में.

Dairy Farming Business Ideas

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के प्रमुख फायदें

डेरी व्यापारियों के अनुसार इस बिज़नेस में प्रमुखरूप से निम्न फ़ायदे प्राप्त होते है;

दुग्ध तथा दुग्ध प्रोडक्ट्स से आय:

दूध इस व्यापार में आय का सबसे का सोर्स माना जाता है. व्यापारी अपने पशुओ का दोहन करके दूध को सीधा दुग्ध कम्पनियो जैसे अमूल तथा नमस्ते इंडिया आदि को बेच सकते है.

एक दुग्ध व्यापारी के रूप में आपको कहीं जाने या उपभोक्ताओं को खोजने की जरुरत भी नहीं हैं. कम्पनी खुद आपकी पशुशाला में आकर आपका दूध ले जाएँगी तथा आपके पैसे का भुगतान भी साप्ताहिक या मासिक रूप से आप तक पहुँचता रहेगा.

इसके अलावा आप अपने दूध के अलग अलग प्रोडक्ट्स बनाकर लोकल मार्केट तथा शादी पार्टी आदि में अच्छे दामों पर बेच सकते है. उदाहरण के लिए यदि आप चाहें तो बरातों के सीजन में अपने दूध का पनीर या खोया बनाकर बेच सकते है.

दूध डेयरी प्लांट लगाकर:

अगर आप के पास डेयरी फार्म में ज्यादा पशु है, और आप के पास ज्यादा मात्र में दूध का कलेक्शन होता है तो अपना खुद का दूध डेयरी प्लांट भी लगा सकते. आप चाहे तो अपने आस पास के छोटे-बड़े डेयरी फार्म वाले किसानो के साथ मिलकर भी एक दूध डेयरी प्लांट की सुरुआत कर के अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

पशुओ के गोबर से आय:

दूध के अलावा आप अपने पशुओ के गोबर की खाद बनाकर उसको अच्छे दामों में बेच सकते है. तथा इस कार्य के लिए भी आपको कुछ खास करने की जरुरत नहीं पड़ेगी. आप अपने फार्म में ही एक बड़ा सा खड्डा खोद कर उसमे जानवरों के मल को डालते रहें और एक समय के बाद जब यह गोबर सड जाए तब इसको अपने खेत्र के किसानो के हाथ बेंच दे. ऐसा करने से आपको एक मुस्त बड़ी रकम प्राप्त हो जाएगी.

इसके अलावा यदि आप चाहें तो भारत सरकार द्वारा स्थापित गोबर धन योजना अर्थात गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन योजना के अंतर्गत अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर अपने गोबर को सीधा सरकार के हांथो अच्छी कीमत पर बेच सकते है.

नोट: गोबर धन योजना पर विस्तृत जानकारी के लिए हम जल्द ही एक ब्लॉग लेकर आएंगे.

अनावश्यक जानवरों से आय:

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के अंतर्गत आप अपने फार्म में अनावश्यक जानवरों को बेच कर भी अच्छी खाशी रकम वसूल कर सकते है. यहाँ अनावश्यक जानवरों से हमारा तात्पर्य उन जानवरों से है जो या तो दुधारू नहीं है या फिर अधिक उम्र के होने के चलते आपकी मांग के मुताबिक दूध नहीं दे रहे है.

उदाहरण के लिए यदि आपकी भैस एक नर भैस (पड़वे) को जन्म देती है तो वह आपके लिए किसी काम का नहीं होगा क्योंकि आपको उससे दुग्ध की प्राप्ति नहीं होंगी. किन्तु वही पड़वा अन्य किसानो के लिए उनकी खेती में मददगार साबित हो सकता है. अतः आप उस अनावश्यक पशु को एक उम्र के बाद किसानो या फिर व्यापारियो आदि को बेच कर अच्छी रकम प्राप्त कर सकते है.

इसके अलावा अन्य दुधारू जानवर जो की उतना ज्यादा दूध नहीं दे रहे है आप उनको भी किसानो तथा व्यापारियो के हाथ बेच सकते है. साथ ही जरुरत पड़ने पर आप एक अच्छी नस्ल के नर पशु से फार्म के मादा पशुओ को गर्भित (क्रॉस) भी करवा सकते है.

अनावश्यक पशुओ को बेचने के लिए भी आपको कुछ भी अलग से करने की जरुरत नहीं पड़ेगी. आप साधारणतः फार्म के अन्य पशुओ की भांति अनावश्यक पशुओ को भी पाले तथा जब वे अच्छे तंदरुस्त हो जाए तो उनको बेच दे.

Benefits of Dairy Farming

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के अन्य फायदे

  • डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए कोई निश्चित लागत नहीं होती है इस व्यापार को आप दो या तीन जानवरों के साथ भी प्रारंभ कर सकते है. साथ ही यदि आप छोटे किसान है तथा आपके पास पशुशाला बनाने के लिए अलग से जगह नही है तो आप इसको अपने घर से भी प्रारंभ कर सकते है.
  • डेरी प्रोडक्ट्स की मांग पूरे साल चलती रहती है अर्थात आप इस बिज़नेस से साल के 12 महीने कमाई कर सकते है.
  • इस बिज़नेस के लिए आपको लेबर आसानी से तथा कम कीमत पर मिल जायेंगे. आप चाहें तो डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के व्यापार को अपने घर के सदस्यों के साथ मिलकर भी शुरु कर सकते है.

क्या कहते है डेयरी फार्म से जुड़े आंकड़े

आंकड़ो के अनुसार भारत दुनिया के सबसे बडे दुग्ध उत्पादक देशो में से एक है जो दुनियाभर से लगभग 6 अरब दूध उपभोक्ताओ को दूध की सप्लाई करता है. तथा इंटरनेशनल मांग के चलते भारतीय दुग्ध कंपनियों को काफी अच्छा मुनाफ़ा भी प्राप्त होता है.

TV9 भारतवर्ष की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश की कुल कृषि अर्थव्यवस्था का लगभग 28 प्रतिशत सिर्फ डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) से आता है. जबकि सिर्फ भारत में डेरी सेक्टर का लगभग 8 लाख करोड़ का कारोबार है.

हालिया आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2017 – 18 में देश का दूध उत्पादन लगभग 176 मिलियन टन था जो की वर्ष 2013 – 14 के 137 मिलियन टन से 28 प्रतिशत अधिक था. अर्थात देश में दुग्ध उत्पादन तथा इसका व्यापार निरंतर तेजी से बढ़ रहा है.

अतः यह व्यापार कभी भी आपके लिए घाटे का सौदा नहीं होने वाला है और ना ही तो इस सेक्टर में पैसे की कोई कमी है. साथ ही आप इस व्यापार में अच्छी खासी इनकम करके देश की जानी मानी कंपनियों के साथ अन्तराष्ट्रीय बाजार तक भी पहुँच सकते है.

कैसे प्रारंभ करें डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) का व्यापार

1 लाख के बजट से सुरुआत

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) या दुग्ध व्यापार को सुरु करने के लिए सबसे पहले आपको अपने बजट पर विचार करना होगा. इसके बाद आपको अपने बजट के अनुसार जगह तथा पशुओ का चुनाव करना होगा. यदि आपका बजट एक से दो लाख रूपए के बीच है तो बेहतर होगा की आप 2 मवेशियों के साथ अपने घर या घर के आसपास अपने बिज़नेस को सुरु करे.

सीमित बजट की दशा में आपको सिर्फ और सिर्फ अपने जानवर तथा उनके चारे पर ही खर्च करना है. अतः आपको अपने 1 लाख के सीमित बजट में लगभग 40 – 40 हजार की दो भैशो या फिर गायों पर लगभग 80 हजार ही खर्च करना है. इसके अलावा आप बचे हुए 20 हजार में से आपको 5 हजार पशुओ के लिए छप्पर या झोपडी पर खर्च करने है तथा 5 हजार पुष्टाहार व पुवाल पर खर्च कर देने है. बचे हुए 10 हजार रूपए आपको भविष्य के लिए बचा कर रखने है.

5 लाख के बजट से सुरुआत

यदि आपका बजट ठीक ठाक है तथा आप अपने बिज़नेस पर 5 से 10 लाख तक का खर्च करने में सक्षम है तो आपको सबसे पहले एक आदर्श पशुशाला पर कार्य करना होगा. तथा उसके बाद अपने जानवरों की संख्या के अनुसार गेहूं के सीजन में पुवाल का भण्डारण करना होगा. साथ ही आपको हरे चारे का भी उचित प्रबंध करना होगा जिससे आपके पशुओ को आते ही अच्छा चारा मिल सके.

अमूल अथवा नमस्ते इंडिया से गठजोड़

अब चूँकि आपका व्यापार बड़े पैमाने पर होने वाला है इसलिए जरुरी है की आप अपने दूध की बिक्री का प्रबंध भी पहले से कर के रखे. अतः जानवर लाने से पहले आपको अपने क्षेत्र की बड़ी अमूल अथवा नमस्ते इंडिया जैसी किसी बड़ी कम्पनी से संपर्क करना होगा तथा उनसे व्यापार की बात करनी होंगी.

कम्पनी आपके व्यापार में अवश्य ही रूचि लेगी और सम्भवतः वह आपको आपके क्षेत्र की डीलरशिप भी प्रदान करेगी. साथ ही कंपनी आपको प्रशिक्षण तथा आपके जानवरों के लिए दाना व आवश्यक उपकरण भी प्रदान करेगी. इसके अलावा कम्पनी आपके उत्पाद को आपकी पशुशाला से स्वयं ही ले जाने का कार्य भी करेगी.

Dairy Farming Ke Lie Animal

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) हेतु महत्वपूर्ण जानवर

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए सबसे आवश्यक जानवर गाय तथा भैस ही माने जाते है. हालाँकि यदि आपके मार्केट में मांग हो तो आप भेड़ तथा बकरियों को भी शामिल कर सकते है. यदि आप पूर्ण रूप से दूध का ही व्यापार करना चाह रहे है तो हम आपको सिर्फ गाय तथा भैस पालने का ही सुझाव देंगे.

याद रहे भारत में गाय तथा भैस का मिश्रित दूध बेचना गैरकानूनी है अतः आपके लिए गाय या भैस में से किसी एक का चुनाव करना ही सही रहेगा. चूँकि जादातर कंपनियां दूध की कीमत दूध में उपलब्ध फैट के अनुसार तय करती है तथा भैस के दूध में फैट अच्छी मात्रा में होता. इसलिए हम आपको भैस को प्राथमिकता देने की सलाह देंगे.

व्यापार के आधार पर गाय भैस की उपयोगी नस्ले

डेरी उपयोग के आधार पर गाय तथा भैस की 2 प्रकार की नस्लें मानी जाती है. इनमे से जो आपके लिए सबसे बेहतरीन प्रकार है वह है दुधारू नस्ल की गाय अथवा भैस. दुधारू नस्ल के जानवर दुग्ध व्यापार के लिए सबसे बेहतर माने जाते है. हालाँकि द्विकाजी नस्ल के जानवर भी दुग्ध देने के लिए जाने जाते है किन्तु ये उतना अधिक प्रोडक्शन नहीं दे पातें है जितना की दुधारू नस्ल के जानवर.

भैस की दुधारू नस्ल

नस्लदुग्ध उत्पादन प्रति ब्यातदुग्ध में वसा का प्रतिशतब्याने व गाभिन होने का अन्तराल
मुर्रा2000 लीटर7 से 9 प्रतिशत175 दिन
भदावरी900 लीटर9 से 10 प्रतिशत180 दिन
जाफराबादी1800 लीटर8 से 9 प्रतिशत160 दिन
सुरती1600 लीटर7 से 9 प्रतिशत150 दिन
मेहसाना1600 लीटर7 से 9 प्रतिशत180 दिन

गाय की दुधारू नस्ल (देसी)

नस्लदुग्ध उत्पादन प्रति ब्यातदुग्ध में वसा का प्रतिशतब्याने व गाभिन होने का अन्तराल
साहिवाल2000 से 3000 लीटर5 से 9 प्रतिशत150 दिन
लाल सिन्धी2000 से 2200 लीटर5 से 9 प्रतिशत150 दिन
गिर1200 से 2000 लीटर5 से 9 प्रतिशत150 दिन
थारपारकर1900 से 2100 लीटर5 से 9 प्रतिशत128 दिन
राठी1500 लीटर5 से 9 प्रतिशत170 दिन

गाय की दुधारू नस्ल (विदेसी)

नस्लदुग्ध उत्पादन प्रति ब्यातदुग्ध में वसा का प्रतिशतब्याने व गाभिन होने का अन्तराल
होलेस्टीन फ्रीजियन8000 लीटर5 से 9 प्रतिशत90 दिन
जर्सी5000 से 8000 लीटर5 से 9 प्रतिशत90 दिन
ब्राउन स्विस6000 से 8000 लीटर4 से 9 प्रतिशत90 दिन
रेड डब5000 से 7000 लीटर4 से 9 प्रतिशत90 दिन
आयर शायर3350 लीटर4 से 9 प्रतिशत90 दिन

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए जगह का चुनाव तथा आदर्श पशुशाला

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) में पशुशाला का अत्यधिक महत्व होता है तथा एक अच्छी पशुशाला आपके पशुओ तथा व्यवसाय पर काफी अधिक प्रभाव डालती है. वैसे तो एक आदर्श पशुशाला के निर्माण के लिए आपको बहुत अधिक कदम उठाने की जरुरत नहीं पड़ती है फिर भी आपको निम्न बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है.

बस्ती तथा शोरसराबे से दूर:

इंसानों की भांति ही जानवरों को भी शांत प्रयावरण बहुत अधिक पसंद आता है. अधिक शोर वाले इलाके में जानवर बिजुकते रहते है तथा यह स्थिति उनको मानसिक रूप से कमजोर बनाती है. साथ ही यदि जानवर लगातार बिजुकते रहेंगे तो उनके दोहन में भी काफी समस्या आयेगी.

मुख्य मार्ग के आसपास:

पशुशाला निर्माण के समय आपको जानवरों तथा दूध लाने ले जाने वाले साधनों हेतु मार्ग का भी ध्यान रखना होगा. आप अपनी पशुशाला को मुख्य मार्ग के जितना अधिक पास रखेंगे आपके लिए उतनी ही आसानी होंगी.

नदी अथवा तालाब के पास:

जानवरों को मुख्यरूप से भैसों को पानी में लेवारा (स्नान) करना बहुत अधिक पसंद होता है तथा इससे उनके शारीरिक तथा मानसिक विकास को मदद मिलती है. इसलिए यदि संभव हो तो अपनी पशुशाला का निर्माण किसी स्वच्छ तालाब अथवा नदी के किनारे पर करवाए.

हरे चारे के खेतों के आसपास:

पशुपालन के अन्तर्गत पशुओ को समय पर चारा उपलब्ध कराना सबसे महत्वपूर्ण तथा कठिन कार्य माना जाता है. जब पशुओ की संख्या अधिक होंगी तो उनके लिए चारा भी अधिक लाना पड़ेगा और यदि खेत दूर है लगभग 2 मजदूर सारा दिन सिर्फ चारा ही लाते रह जाएँगे, अतः जरुरी है की आप अपनी पशुशाला का निर्माण खेतों के आसपास ही रखें.

आदर्श पशुशाला हेतु महत्वपूर्ण बिंदु

  • जानवरों के पीने योग्य जल तथा खुले पानी की नालियां
  • चारा खाने हेतु उचित चंनियाँ
  • चारा काटने हेतु उचित उपकरण 
  • अनुकूल तापमान (गर्मियों में खुला मैदान तथा सर्दियों में 3 तरफ से बंद कमरें)
  • जानवरों के नहाने हेतु उचित जगह तथा जल
  • पुवाल तथा पुष्टाहार का भण्डारण
  • गोबर इकट्ठा करने हेतु अतिरिक्त स्थान
  • जानवरों को बांधने हेतु मजबूत खूटें

पशुओ के लिए पोषाहार का चुनाव

गाय तथा भैस दोनों ही साकाहारी जानवर होते है अतः उनकी शारीरिक मांग के अनुसार उनको हरे चारे के साथ उचित पोषक तत्व देना अत्यंत आवश्यक होता है. गायों की तुलना में भैस आहार को अधिक आसानी से पचा पाती है इसलिए दोनों के चारे में अंतर होना भी अत्यंत आवश्यक माना जाता है.

यहाँ हमने कुछ पोषक तत्व दिए है जो आपकी गाय तथा भैस दोनो के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते है;

कार्बोहाइड्रेट:

यह तत्व भैस के उचित शारीरिक एवं दुग्ध विकास के लिए आवश्यक है. यह प्रमुख रूप से जानवरों को उर्जा प्रदान करने का कार्य करता है. पशुओ को कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा चारे, भूसे तथा अनाजों से प्राप्त होती है.

प्रोटीन:

प्रोटीन गाय भैस के शरीर की आतंरिक संरचना के लिए आवश्यक तत्व माना जाता है. गर्भित जानवरों में यह तत्व शिशु के उचित विकास में सहायक होता है. आप अपने जानवर को खल, दाल, बरसीम, लोबिया, ग्वार आदि के माध्यम से उचित प्रोटीन दे सकते है.

वसा:

पशु आहार में लगभग 3 से 5 प्रतिशत वसा होनी नितांत आवश्यक होती है जो पशुओ को उचित उर्जा प्रदान करने का कार्य करती है. वसा भी पशुओ को सदारण हरे चारे से प्राप्त हो जाती है.

विटामिन:

पशुओ को सभी प्रकार के विटामिन्स की आवश्यकता होती है. विटामिन बी पशुओ में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा उचित मात्रा में संश्लेषित कर लिया जाता है जबकि अन्य विटामिन उनको हरे चारे से प्राप्त हो जाते है. पशुओ में विटामिन A का अत्यधिक महत्व होता है तथा इसकी कमी होने पर उनमें गर्भपात, अंधापन तथा चमड़ी का सूखना आदि रोग हो सकते है.

इसके अलावा जानवरों को कैल्शियम, आयोडीन, जिंक, कोबाल्ट, तांबा सेलेनियम जैसे खनिज लवणों की भी आवश्यकता पड़ती है.

जानवरों हेतु दाना

  • शारीरिक देखभाल के लिए: गाय के लिए 5 तथा भैस के लिए 2 किग्रा प्रतिदिन
  • दुधारू जानवर के लिए: गाय को प्रति 5 लीटर दूध पर 1 किग्रा दाना तथा भैस को प्रति 2 लीटर दूध पर 1 किग्रा दाना
  • गाभिन जानवर के लिए: 6 माह की गाभिन गाय अथवा के लिए 1 से 5 किग्रा दाना
  • बछड़ा एवं बछिया के लिए: 1 से 5 किग्रा दाना वजन के अनुसार

गाय-भैस के लिए आवश्यक टीके

  1. बीमारी गलाघोंटू (गाय, भैंस)

    वैक्सीन: फिटकरी सांद्रित खुराक पांच मिली़ (बड़े पशुओं में) , एक मिली़ (छोटे पशुओं में)
  2. बीमारी खुरपका-मुंहपका रोग (गाय, भैंस)

    वैक्सीन: एल्युमिनियम हाइड्राक्साइड जैल अवशोषित खुरपका मुंहपका वैक्सीन खुराक दो मिली (बड़े पशुओं में), एक मिली़ (छोटे पशुओं में)

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी मदद

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) करने के लिए आपको सरकारी तथा गैरसरकारी दोनों प्रकार की संस्थाओ से मदद प्राप्त होंगी. संस्थाएं आपको आर्थिक एवं अन्य प्रकार की मदद करती है;

सरकारी मदद:

सरकार आपको डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) में आर्थिक रूप से मदद करती है. आप केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली NABARD डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) स्कीम के तहत सब्सिडी पर लोन पर प्राप्त कर सकते है. इसके अलावा भारत के भिन्न भिन्न राज्य भी आपको डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए मदद करती है.

गैरसरकारी मदद:

सरकार के अलावा डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए आपको गैरसरकारी मदद भी मिलती है. बड़ी बड़ी दुग्ध कंपनिया जैसे की नमस्ते इंडिया तथा अमूल आपको गैरसरकारी रूप से उपकरण तथा बीज आदि की मदद करते है.

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) अथवा दुग्ध व्यापार हेतु लोन

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए सरकारी संस्था NABARD के माध्यम से आप आसानी से लोन प्राप्त कर सकते है. अधिक मदद के लिए आप NABARD की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते है. यह लोन आप अलग अलग बैंक्स से प्राप्त कर सकते है;

SBI लोन

आप डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) हेतु एसबीआइ बैंक में जाकर आसानी से लोन प्राप्त कर सकते है. यहाँ आपको कम ब्याजदर पर लोन प्राप्त हो जाएगा. लोन लेने के लिए आप बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट अथवा नजदीकी शाखा में जा सकते है.

बैंक ऑफ़ बडौदा लोन

बैंक ऑफ़ बडौदा भी आपको डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए अच्छी दरों पर लोन देता है. यहाँ आप 60 हजार से लेकर 6 लाख तक का लोन प्राप्त कर सकते है.

सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया

सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से भी आप डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के लिए लोन प्राप्त कर सकते है. यहाँ भी आपको 50 हजार से 5 लाख तक का लोन मिल सकता है.

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) हेतु आवश्यक योग्यता एवं दस्तावेज

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) का बिज़नेस शुरू करने तथा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपके पास निम्न प्रकार के डाक्यूमेंट्स की जरुरत पड़ती है –

  • एनओसी सर्टिफिकेट
  • व्यापार पंजीकरण लाइसेंस
  • FSSAI लाइसेंस
  • VAT सर्टिफिकेट

साथ ही लाइसेंस बनवाने के कुछ पैसे आदि भी खर्च करने पड़ सकते है.

Benefits of Dairy Farming Business Ideas

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) से अनुमानित मुनाफ़ा

डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) की मदद से आप जितना चाहें उतना पैसा कमा सकते है. कमाई मुख्य रूप से आपके व्यापार की क्षमता पर निर्भर करता है. यदि आपके पास एक भैस है जो दिन का 30 लीटर दूध देती है और एक लीटर दूध का मूल्य 40 रूपए है, तो आपकी एक भैस आपको 1200 रूपए का मुनाफ़ा देगी. इस मुनाफ़े में लगभग आप अपनी भैस के रखरखाव एवं भरण पोषण में लगभग 500 खर्च कर देंगे.

इस प्रकार आपको एक भैस से प्रतिमाह लगभग लगभग 21 हजार का मुनाफ़ा होगा. और यदि आपके पास ऐसी ही 10 भैसे है तो आप महीने का सीधा 2 लाख 10 हजार कमा सकते है.

किन्तु ध्यान रहे कोई भी जानवर साल के 12 महीने दूध नही देती है तथा उनको लगभग 6 महीने तक फ्री में भी खिलाना पड़ेगा. अतः यदि आप एक जानवर के एक ब्यात में 2 लाख कमाते है तो आपको उसी जानवर पर लगभग 60 हजार मुफ्त में भी खर्च करना होगा.

बॉटम लाइन 

दुनिया भर के सभी व्यापारों की तरह ही डेरी फार्मिंग या दुग्ध व्यपार में भी वित्तीय जोखिम शामिल है, अतः कई बार परिणाम उम्मीद से कम या फिर विपरीत भी हो सकते है. इसलिए व्यापार सुरु करने से पहले अपने बजट तथा जोखिम को भली प्रकार समझ ले. 

इस ब्लॉग में हमने दुग्ध व्यापार से जुडी लगभग सभी जानकारियों को सम्मलित किआ है यदि आपको फिर भी कोई जानकारी मिस्सिंग लगे या फिर आपको हमसे कोई प्रश्न पूछना हो या सुझाव देना हो तो कृपया कमेंट करे. 

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